'आलमगीर' से 'आलू-प्याज-धनिया' के चटखारे तक का सफर
नमस्कार दोस्तों! आज हम इतिहास के उस 'विवादित' बादशाह की बात करेंगे, जिनके 'कारनामे' सुनकर आप भी कहेंगे, "भाई, ये तो 'बॉलीवुड' से भी ज्यादा 'मसालेदार' है!" बात हो रही है हमारे 'चहेते' मुगल बादशाह औरंगजेब की। तो चलिए, शुरू करते हैं 'आलमगीर' से 'आलू-प्याज-धनिया' के चटखारे तक का सफर!
* **'टोपी' से 'धनिया', 'आलू' और 'प्याज' का तड़का:**
* औरंगजेब, जिन्हें 'आलमगीर' कहा जाता है, अपनी 'कट्टर' नीतियों के लिए जाने जाते थे।
* पहले उनकी 'टोपी' उड़ी, फिर 'धनिया' और अब तो लगता है, 'आलू-प्याज' का तड़का भी लग गया है!
* उनके 'फैसले' ऐसे थे कि जनता भी सोचती थी, "ये क्या 'सब्जी' पक रही है?"
***'मंदिर' और 'मस्जिद' का 'रायता':
* औरंगजेब के शासनकाल में 'मंदिर' और 'मस्जिद' को लेकर इतना 'कंफ्यूजन' था कि लोग 'गूगल मैप' भी भूल गए थे।
* कुछ लोग कहते हैं, उन्होंने 'मंदिर' तोड़े, तो कुछ कहते हैं, उन्होंने 'मस्जिद' बनवाई।
* अब भाई, सच क्या है, ये तो 'इतिहास' भी 'रायता' फैलाए बैठा है!
* **'प्रशासन' या 'पकोड़े'?
* औरंगजेब को 'कुशल प्रशासक' माना जाता था, लेकिन उनके 'फैसले' ऐसे थे कि जनता भी 'पकोड़े' तलते-तलते थक गई।
* जैसे, 'जजिया कर' लगाना, जिससे जनता में 'गुस्सा' था।
* अब बताओ, ये 'प्रशासन' था या 'पकोड़े'?
* **'विवादों' का 'चाट':
* औरंगजेब को 'विवादों' का 'चाट' कहना गलत नहीं होगा।
* उनके 'फैसले', उनकी 'नीतियां', सब कुछ 'विवादों' के 'ठेले' पर सजा रहा।
* आज भी, लोग उनके बारे में 'चटकारे' लेते रहते हैं।
* **'दक्षिण' का 'सांभर':**
* औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य को 'दक्षिण' तक फैलाया, लेकिन 'दक्षिण' वालों ने भी उन्हें खूब 'सांभर' पिलाया।
* उनकी 'दक्षिण विजय' इतनी लंबी चली कि लोग कहने लगे, "भाई, ये 'सांभर' कब खत्म होगा?"
औरंगजेब का 'इतिहास' हमें सिखाता है कि 'सत्ता' और 'शक्ति' का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए। उनके 'कारनामे' हमें ये भी बताते हैं कि 'कट्टरता' और 'अत्याचार' कभी भी 'सफलता' की गारंटी नहीं होते। तो दोस्तों, अगली बार जब आप 'आलू-प्याज-धनिया' देखें, तो औरंगजेब को जरूर याद करना!
No comments:
Post a Comment