गोवर्धन पूजा: भगवान कृष्ण की दिव्य लीला का स्मरण
**नमस्कार दोस्तों,**
आज हम बात करेंगे एक ऐसे पर्व की जो भक्ति और प्रकृति के अद्भुत संगम का प्रतीक है - गोवर्धन पूजा। दीपावली के अगले दिन मनाई जाने वाली यह पूजा, भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुड़ी हुई है।
**गोवर्धन पूजा** यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की एक अद्भुत लीला को स्मरण करता है, जिसमें उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकृति के प्रकोप का सामना किया था।
**गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा**
कथा के अनुसार, भगवान इंद्र, वर्षा और गरज के देवता, गोवर्धन पर्वत के निवासियों द्वारा उनकी उपेक्षा से नाराज हो गए। उन्होंने भारी वर्षा और तूफान का प्रकोप भेजा, जिससे लोगों के जीवन खतरे में पड़ गए।
तब भगवान कृष्ण, अपने दिव्य रूप में प्रकट हुए और अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों तक उन्होंने इस पर्वत को छाता की तरह थामे रखा, जिससे लोग सुरक्षित रहे। इस लीला के स्मरण में ही हम गोवर्धन पूजा मनाते हैं।
**गोवर्धन पूजा का महत्व**
* **प्रकृति का सम्मान:** यह पर्व हमें प्रकृति की शक्ति और उसके प्रति सम्मान का संदेश देता है।
* **भगवान कृष्ण की कृपा:** भक्त इस दिन भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।
* **सांस्कृतिक महत्व:** गोवर्धन पूजा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है।
**गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?**
* **गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा:** भक्त गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, जिससे उन्हें शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है।
* **पूजा-अर्चना:** घरों में और मंदिरों में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।
* **छप्पन भोग:** भगवान कृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया जाता है।
* **गोवर्धन पर्वत का निर्माण:** मिट्टी या गोबर से छोटे-छोटे गोवर्धन पर्वत बनाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है।
**आपसे एक सवाल**
आपने कभी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की है? या फिर आपने घर पर गोवर्धन पूजा का आयोजन किया है? अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें।
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**जय श्री कृष्ण!**
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